'तेरे साथ यूँ ही चल पाते, तेरी तरह यूँ ही खुल के बरस पाते, 'तेरे साथ यूँ ही चल पाते, तेरी तरह यूँ ही खुल के बरस पाते,
सही गलत पहचान, अपना पराया करना छोड़ तू।। सही गलत पहचान, अपना पराया करना छोड़ तू।।
खुद को भुला के चाहूँ जो जीना किसी के लिए, मेरी ज़िंदगी पे उठे क्यों सवाल इतने? छोड़ क खुद को भुला के चाहूँ जो जीना किसी के लिए, मेरी ज़िंदगी पे उठे क्यों सवाल इतने...
क्यों होता है क्यों होता है
क्यों फूल खिलना भूल गए हैं, क्यों हवाओं मेंं अमनेपन की खूशबू नहीं क्यों फूल खिलना भूल गए हैं, क्यों हवाओं मेंं अमनेपन की खूशबू नहीं
अब रोता क्यों है... तनहा शायर हूँ अब रोता क्यों है... तनहा शायर हूँ